ऑपरेशन शील्ड: 6 राज्यों में ब्लैकआउट और धमाकों की गूंज, क्या भारत जंग की तैयारी कर रहा है?
ऑपरेशन शील्ड के तहत जम्मू-कश्मीर, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में 31 मई को शाम 5 से रात 9 बजे तक मॉक ड्रिल की गई। ड्रिल में एयर स्ट्राइक, बम धमाके, फायरिंग और ब्लैकआउट जैसे हालात में क्विक रिस्पॉन्स की प्रैक्टिस हुई। यह कवायद 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले और 7 मई की PoK एयरस्ट्राइक के बाद बढ़ते तनाव को देखते हुए की गई।

शनिवार को भारत सरकार ने एक अहम सुरक्षा अभ्यास ‘ऑपरेशन शील्ड’ के अंतर्गत छह राज्यों — जम्मू-कश्मीर, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ — में मॉक ड्रिल का आयोजन किया। यह ड्रिल शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक चली, जिसमें एयर स्ट्राइक, बम धमाके, गोलीबारी, इमारतों में आग लगने जैसे संकटों से निपटने की तैयारी को परखा गया।
प्रशासन, पुलिस और बचाव दलों की मिली-जुली भागीदारी
मॉक ड्रिल के दौरान पुलिस, प्रशासन, फायर ब्रिगेड, स्टेट डिजास्टर रेस्पॉन्स फोर्स (SDRF) और स्वयंसेवकों की टीमें सक्रिय रहीं। अभ्यास में इमारतों से लोगों को निकालने, घायलों को रेस्क्यू कर एम्बुलेंस के माध्यम से अस्पताल पहुँचाने, आग पर काबू पाने जैसे सभी जरूरी ऑपरेशन्स को अंजाम दिया गया। पूरे अभियान में त्वरित प्रतिक्रिया देने पर विशेष जोर दिया गया।
ब्लैकआउट एक्सरसाइज ने सुरक्षा की गंभीरता जताई
रात 8 बजे से 9 बजे के बीच विभिन्न जिलों में ब्लैकआउट रखा गया। जैसे ही सायरन बजे, इलाके की सभी लाइटें बंद कर दी गईं। कई स्थानों पर ब्लैकआउट 15 मिनट तक चला, तो कहीं 25 से 30 मिनट तक। इस दौरान पुलिस टीमों ने गश्त की और आम जनता को सतर्क किया गया। ड्रिल का उद्देश्य था — हमले की स्थिति में क्षेत्र को अंधेरे में सुरक्षित रखना।
पहले 29 मई को होनी थी ड्रिल, फिर बदली तारीख
यह मॉक ड्रिल पहले 29 मई को होनी थी, लेकिन कुछ कारणों से इसे टालकर 31 मई को आयोजित किया गया। इससे पहले 7 मई को भी देश के 244 शहरों में इसी तरह की ब्लैकआउट ड्रिल हो चुकी है, जिसमें नागरिकों को आपातकाल की स्थिति में सुरक्षित रहने और प्रतिक्रिया देने की ट्रेनिंग दी गई थी।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद देशभर में सुरक्षा बढ़ी
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की हत्या के बाद भारत ने 7 मई को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की थी। इसमें सेना ने 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया था। इस कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति बनी रही।
सीमा पर ड्रोन हमले और फायरिंग के बीच सीजफायर
भारत की एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने सीमा से सटे भारतीय क्षेत्रों में ड्रोन अटैक और भारी फायरिंग की। भारत ने इन गतिविधियों का सख्त जवाब दिया। अंततः 10 मई को दोनों देशों के बीच सीजफायर पर सहमति बनी, लेकिन इसके बाद से सुरक्षा एजेंसियों ने सीमावर्ती इलाकों में हाई अलर्ट जारी रखा है।
राज्यों से आई मॉक ड्रिल की तस्वीरें और गतिविधियां
राजस्थान के जयपुर में बाजार में ब्लास्ट और हवाई फायरिंग की सिचुएशन तैयार की गई। सीकर में चार धमाके हुए और डूंगरपुर में मिसाइल अटैक की स्थिति का अभ्यास हुआ। हरियाणा और चंडीगढ़ में जैसे ही सायरन बजे, 30 सेकंड में फायर ब्रिगेड और एम्बुलेंस मौके पर पहुंचीं। जम्मू-कश्मीर के पुंछ, उरी, बारामूला, किश्तवाड़ और डोडा में सिविल डिफेंस की टीमों ने रेस्क्यू ऑपरेशन किया। गुजरात के मेहसाणा और बोटाद जिलों में भी घायलों को प्राथमिक चिकित्सा दी गई। राजस्थान के झालावाड़ में एक अनोखी स्थिति तब बनी जब मॉक ड्रिल के दौरान मधुमक्खियों ने प्रशासनिक कर्मियों पर हमला कर दिया।
ब्लैकआउट एक्सरसाइज का उद्देश्य और रणनीति
ब्लैकआउट एक्सरसाइज का प्रमुख उद्देश्य होता है युद्ध जैसी स्थिति में नागरिकों को सुरक्षा के उपायों की जानकारी देना और दुश्मन की निगरानी से बचाना। इस दौरान बिजली बंद करके पूरे क्षेत्र को अंधेरे में रखा जाता है ताकि दुश्मन विमानों के लिए लक्ष्य निर्धारण कठिन हो जाए।
सिविल डिफेंस जिलों का वर्गीकरण और योजना
गृह मंत्रालय ने देश के 259 सिविल डिफेंस जिलों को उनकी संवेदनशीलता के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा है। कैटेगरी-1 में सबसे संवेदनशील 13 जिले आते हैं, जैसे उत्तर प्रदेश का बुलंदशहर जहां नरौरा न्यूक्लियर प्लांट स्थित है। कैटेगरी-2 में 201 जिले और कैटेगरी-3 में 45 जिले शामिल हैं। इन सभी जिलों में नागरिकों, कर्मचारियों और छात्रों को आपात स्थितियों में सुरक्षित रहने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
देश की सुरक्षा रणनीति का हिस्सा है ऑपरेशन शील्ड
ऑपरेशन शील्ड जैसे अभ्यास भारत की रक्षा नीति का अहम हिस्सा बन चुके हैं। यह न केवल एजेंसियों की तत्परता की जांच करते हैं बल्कि आम नागरिकों को भी तैयार रहने की मानसिकता सिखाते हैं। भविष्य में किसी भी संकट से निपटने के लिए यह प्रयास बेहद आवश्यक माने जा रहे हैं।
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