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हरियाणा की सियासत में इन 5 परिवारों का रहा सबसे ज्यादा दबदबा, पोते-पोतियों ने संभाली दादा की विरासत

 
Haryana Assembly Elections
Haryana Assembly Elections: हरियाणा में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीटों पर एक अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। वहीं, 4 अक्टूबर को नतीजों का ऐलान होगा। कांग्रेस समेत भाजपा और दूसरे क्षेत्रीय दल चुनाव में जीत के लिए लगातार पसीना बहा रहे हैं। हरियाणा की सियासत अब तक 5 ही परिवारों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। हो सकता है इस बार के चुनाव में उल्टफेर हो जाए, लेकिन इन परिवारों की पहचान कायम है। सबसे पहले बात करते हैं हुड्डा परिवार की।

दो बार सीएम रह चुके हैं हुड्डा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा 2005 से 2014 तक हरियाणा के सीएम रह चुके हैं। परिवार का सियासत में अहम योगदान रहा है। माना जा रहा है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो उनके नाम पर तीसरी बार मुहर लग सकती है। इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 5 सीटें जीती हैं। जिसमें 4 सांसद उनके गुट से बताए जा रहे हैं। टिकट वितरण में भी कांग्रेस ने हुड्डा की अनदेखी नहीं की। उनके पिता रणवीर सिंह संयुक्त पंजाब में 1952 से 1967 तक एमपी रहे थे। वे केंद्र में मंत्री भी रहे। वहीं, हुड्डा भी 3 बार सांसद रह चुके हैं। हुड्डा परिवार की तीसरी पीढ़ी यानी दीपेंद्र भी इस बार रोहतक से सांसद बने हैं। 2004 के बाद वे सिर्फ 2019 में मोदी लहर में कुछ ही वोटों से अपनी सीट हार गए थे। अब तक 4 बार सांसद बन चुके हैं।

ताऊ के नाम से मशहूर थे देवीलाल

इसके बाद बारी आती है चौटाला परिवार की। 70 के दशक में हरियाणा की कमान देवीलाल ने संभाली थी। जो ताऊ नाम से लोकप्रिय थे। उनके बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला 4 बार हरियाणा के सीएम रहे हैं। उनके दो बेटे अजय चौटाला और अभय चौटाला हैं। जो राजनीति में सक्रिय हैं। अभय मौजूदा समय में सिरसा के ऐलनाबाद से विधायक हैं। जबकि अजय सिंह के बेटे दिग्विजय साढ़े 4 साल डिप्टी सीएम रहे। मौजूदा समय में वे जींद की उचाना सीट से एमएलए हैं। उनकी मां नैना चौटाला बाढड़ा से विधायक हैं। देवीलाल के छोटे बेटे रणजीत चौटाला भाजपा सरकार में बिजली मंत्री हैं।

भजनलाल भी हरियाणा की राजनीति में बड़ा नाम रहे। जो हरियाणा की राजनीति में आयाराम गयाराम वाला मुहावरा गढ़ने के कारण चर्चा में रहे थे। उन्होंने देवीलाल सरकार का तख्तापलट कर दिया था। वे अपने 40 विधायकों के साथ जनता पार्टी छोड़कर कांग्रेस में गए और सीएम बने। उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई कई बार सांसद और विधायक रहे हैं। वहीं, उनके बेटे भव्य बिश्नोई भी अब आदमपुर सीट से विधायक बन चुके हैं।

इंदिरा गांधी के करीबी रहे बंसीलाल

बंसीलाल हरियाणा के उदय के दो साल बाद 1968 में पहली बार सीएम बने थे। जिनको आधुनिक हरियाणा का निर्माता भी कहा जाता है। वे 3 बार सीएम रहे। उनको इंदिरा गांधी का करीबी माना जाता था। बाद में कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा विकास पार्टी गठित की। 1996 में फिर हरियाणा के सीएम बने। उनकी सरकार ने ही हरियाणा में शराबबंदी की थी। अब उनकी पोती श्रुति चौधरी विरासत को संभाल रही हैं। उनकी बहू किरण चौधरी हुड्डा सरकार में मंत्री रहीं। जो अब भाजपा में जा चुकी हैं। बंसीलाल के बेटे रणबीर महेंद्रा और दामाद भी राजनीति में हैं।

अंग्रेजों के राज में संयुक्त पंजाब में छोटूराम को किसानों के लिए संघर्ष करने के कारण पहचान मिली थी। उनको जाट समाज का मसीहा भी कहा जाता है। उनके नाती बीरेंद्र सिंह कांग्रेस में हैं। जो पहले भाजपा में चले गए थे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा उनकी बुआ के बेटे हैं। बीरेंद्र सिंह प्रदेश में कई बार मंत्री रह चुके हैं। वे केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं। उनके बेटे बृजेंद्र सिंह 2019 में हिसार से सांसद बने थे।